है , अबोध मानव !! होता ज्ञात तुझे मैं प्रकृति, तेरा आधार , तेरा अस्तित्व , तेरी प्राण सुधा ...। है , अबोध मानव !! होता ज्ञात तुझे मैं प्रकृति, तेरा आधार , तेरा अस्तित्व , ...
यह मजबूत नींव बनाती हैं। बनाकर घोंसला टहनी पर यह मजबूत नींव बनाती हैं। बनाकर घोंसला टहनी पर
जीवन टूट गये हैं उसके अनिश्चित स्नेह की प्रतीक्षा में। जीवन टूट गये हैं उसके अनिश्चित स्नेह की प्रतीक्षा में।
ये त्याग का सागर है, जिसमें मोती दस हज़ार। ये त्याग का सागर है, जिसमें मोती दस हज़ार।
पर मेरी जातियों में घुल जाना, फिर मैं खुलकर तुमसे प्यार करूंगी। पर मेरी जातियों में घुल जाना, फिर मैं खुलकर तुमसे प्यार करूंगी।
किसी को गुणवान बनाती है। किसी को गुणवान बनाती है।